मेरे एक साथी हैं, टीवी पर ठाकरे की मौत की खबरें देखकर उत्साहित हैं, कह रहे हैं कि जब मराठियों की बात करने वाले को देश इस तरह सम्मानित कर रहा है तो मैं भी बिहारियों का पक्ष ले कर लाठी डंडा उठा लेता हूं और एक फौज तैयार कर लेता हूं । और जो लोग ठाकरे को हिंदू वादी बता रहे हैं तो वे लोग ये बताएं कि क्या बिहारी या दक्षिण भारतीय हिंदू नहीं है। ऐसा नहीं है कि ठाकरे की मौत का मुझे दर्द नहीं है , लेकिन दर्द इस बात का है कि ठाकरे की मौत के साथ उनकी क्षेत्रवादी राजनीति का अंत नहीं हो रहा है, बल्कि मीडिया उनका उत्तराधिकारी ढूंढ रहा है।