शनिवार, 25 अप्रैल 2020

क्या पीढ़ियों को भुगतनी होगी सजा?

हमारे सेक्टर की मदर डेयरी पर लंबी लाइन लगी है। लोग एक-एक मीटर की दूरी पर खड़े हैं। दो बच्चे, उम्र पांच से आठ साल होगी।लोगों के सामने हाथ फैलाए खड़े हैं।
एक युवक ने आधी किलो दूध की थैली खरीद कर उनकी तरफ बढ़ा दी। दोनों बच्चे उछलते-कूदते चले गए। लेकिन थोड़ी देर बाद ही वापस आ गए। उनके हाथों में दूध की थैली नहीं थी और वे दोबारा दूध खरीद रहे लोगों से मांगने लगे।
मेरे आगे खड़े व्यक्ति ने मुझसे मुखातिब होते हुए कहा, देखा, इनकी मां वहां पीछे खड़ी है, बच्चे उसको दूध पकड़ा कर फिर से यहां आ गए। मां को शर्म भी नहीं आती, अपने बच्चों से मंगवा रही है। मैंने चुप्पी साध ली।
दूसरी घटना, मैं सुबह उठते ही जैसे ही अपनी बॉलकनी में आया तो देखा, बाहर एक महिला और एक बच्ची पड़ोसी के घर के बाहर खड़ी हैं। हाथ में एक थैला है, जिसमें थोड़ा बहुत राशन है। महिला चुप है और बच्ची दरवाजा खटखटा रही है। मुझे देखकर बच्ची मेरी ओर बढ़ी, जेब में एक दस का नोट था, उसकी ओर बढ़ा दिया। (मुझे जानने वाले लोग यह भी जानते हैं कि मैं कभी भीख नहीं देता, खैर...)।
सामान्य सी दिख रही ये घटनाएं कई दिन बाद भी बेचैन कर रही हैं। एक वायरस ने पूरी दुनिया को बंधक बना दिया है। भारत भी लगभग एक माह से बंधक पड़ा है। लोग, घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं। सरकार ने सब कुछ बंद करा दिया है। हो सकता है कि धीरे-धीरे सब खुल जाए। वायरस का भी इलाज ढूंढ़ लिया जाए। 2014 के बाद से देश में घोर पॉजीटिव हो चुके लोगों की घोषणा के मुताबिक भारत, विश्व गुरू बन जाए।
लेकिन ये दो बच्चियां बड़ी होकर क्या बनेंगी? मेरा मतलब, भारत में इन दो बच्चियों जैसे लाखों बच्चे हैं, उनके मनो मस्तिष्क पर इन दिनों का क्या असर पड़ेगा। बहुत संभव है कि कुछ बच्चे कोरोना महामारी से पहले ही गरीबी की महामारी की वजह से भीख मांग रहे थे और अब भी मांग रहे हैं, लेकिन बहुत से बच्चे ऐसे भी हैं, जो पहली बार हाथ फैला रहे होंगे या अपने मां-बाप को किसी के सामने हाथ फैलाता हुआ देख रहे होंगे।
ऐसे बच्चों की संख्या कितनी होगी? शायद इसकी गिनती करना संभव नहीं है, लेकिन जब सब कुछ सामान्य हो जाएगा तो क्या ये बच्चे इस दौर को भूल जाएंगे? मुझे तो डर इस बात का भी है कि बहुत से बच्चों को लगने लगेगा कि किसी से काम मांगने से बेहतर है भीख मांगना।
इस महामारी का असर कितने दिन रहता है, यह तो आने वाले कुछ दिन बता देंगे, लेकिन महामारी को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन का असर अगली एक पीढ़ी पर न दिखाई दे, हम और हमारी सरकारें कितना काम करेंगी, यह वक्त बताएगा...