मंगलवार, 31 जनवरी 2017

ऐ सूरज

ऐ सूरज,
तुम जी लेते हो एक ही दिन में पूरी जिंदगी
सुबह होते ही दिखते बहुत नजदीक
सुंदर, लालिमा भरा चेहरा
किसी बच्‍चे की याद दिलाता है
जी करता है गोद में उठा लूं
पर कुछ देर बढ़ जाते हो आगे
थोड़ा छोटा दिखने लगते हो
लगता है छिटक रहे हैं हमसे
फिर समय के साथ-साथ जब बेहद ऊपर हो जाते हो
तो छोटे होकर दिख भी नहीं पाते हो,
अपनी आग उगलती धूप से
झुलसा देते हो बदन
बिल्‍कुल एक जवान बेटे की तरह
जो समय के साथ साथ बड़ा तो होता है
लेकिन दिखता नहीं है
और अपनी हरकत से मां-बाप को परेशान कर देता है
शाम होते होते तुम
फिर से दिखने लगते हो
तेज खोने के बाद कुछ सुंदर भी लगने लगते हो
लेकिन अस्‍त होते हुए
तुम दिखते हुए एक बूढ़े बाप की तरह

जिस पर प्‍यार से ज्‍यादा तरस आता है। 
@rajusajwan