शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2018

जेटली की जादूगरी, छोटों के नाम पर बड़ों को फायदा

अरुण जेटली जब साल 2018-19 का बजट पेश कर रहे थे तो नोटबन्दी और जीएसटी से त्रस्त छोटे कारोबारियों को उम्मीद थी कि अगले साल के चुनाव को देखते हुए मोदी सरकार उनके बारे में सोचेगी, लेकिन पूरा बजट भाषण खत्म हो गया, लेकिन छोटे कारोबारियों को कुछ नहीं मिला। हद तो तब हो गई, जब उनके नाम पर बड़े कारोबारियों को छूट दे दी गई। दरअसल, हुआ यह कि जेटली ने भाषण में कहा कि एमएसएमई सेक्टर के 250 करोड़ रूपये सालाना कारोबार करने वालों को कॉर्पोरेट टैक्स में 5 फीसदी छूट दी जाती है। पिछले साल बजट में 50 करोड़ रुपये सालाना टर्नओवर वालों को यह छूट दी गई थी।
तो बताइये कि जिस कम्पनी की टर्न ओवर 250 करोड़ हो, वह एमएसएमई कैसे हो सकता है। सरकार की अपनी परिभाषा बताती है कि मीडियम इंटरप्राइजेज उन्हें कहा जाता है, जिनमें अधिकतम इन्वेस्टमेंट 10 करोड़ रुपये होगा। क्या यह सम्भव है कि जिसने कुल इन्वेस्टमेंट ही 10 करोड़ का हो, वो व्यापारी 250 करोड़ सालाना कारोबार कैसे कर सकते हैं।
दूसरी जादूगरी यह कि यह छूट कंपनी को मिलेगी। तो बताइये कि छोटे कारोबारी प्राइवेट कम्पनी बना कर व्यापार करते हैं क्या ? कंपनी मतलब प्राइवेट लिमिटेड या लिमिटेड कंपनी । छोटे कारोबारी तो प्रोपराइटर या पार्टनरशिप कम्पनी के तौर पर काम करते हैं।
तो हकीकत यह है कि सरकार कॉरपोरेट को छूट दे रही है। हो सकता है कि अगली बार 250 करोड़ की जगह 2500 करोड़ टर्न ओवर वाली कम्पनी को छूट दे दी जाए।
इसमें बुराई भी नहीं है, लेकिन छूट सालाना टर्न ओवर की बजाय रोजगार देने वाली कंपनी को दी जानी चाहिए।