शनिवार, 12 अगस्त 2017

अमिताभ सर के नाम एक पत्र


आदरणीय श्री अमिताभ कांत जी
सीइओ, नीति आयोग


सर! आप ठीक कह रहे थे। इस देश की शिक्षा एवं स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को प्राइवेट सेक्‍टर को सौंप देना चाहिए। यह सही भी रहेगा। जी सर! आपने सही कहा था। जब केवल प्राइवेट अस्‍पताल होंगे तो कितना अच्‍छा होगा। साफ सुथरे, पांच सितारा होटल की तरह बने अस्‍पताल। अत्‍याधुनिक तकनीक की मशीनें। एक से एक अनुभवी डॉक्‍टर। ईलाज के दौरान मरने वाले लोगों की संख्‍या भी काफी कम होगी। सरकार का रिकॉर्ड भी साथ सुथरा होगा। सरकार को अपने बजट में हेल्‍थ सर्विसेज के लिए अलग प्रावधान नहीं करना होगा।
गरीब किसी उम्‍मीद में तो नहीं जिएगा, उसे पहले ही पता होगा कि उसके पास पैसे नहीं हैं तो बीमार होने के बाद उसका मरना तय है। किसी सरकारी अस्‍पताल में किसी डॉक्‍टर को देवता मान कर अपने बच्‍चों के ठीक होने की उम्‍मीद करना ही बेमानी है। उसे समझना होगा कि सरकारी अस्‍पताल में वहीं लोग डॉक्‍टर हैं, कर्मचारी हैं, जिन्‍हें पैसा चाहिए। तनख्‍वाह चाहिए, कमीशन चाहिए। अपने लिए भी और अपने से ऊपर बैठे हुक्‍मरानों के लिए भी।


आभार ...