यह अजब संयोग है कि वर्ल्ड बैंक द्वारा जारी ईज ऑफ डुइंग बिजनेस और रिपोर्टर्स
विदाउट बॉर्डर्स द्वारा पत्रकारों की आजादी पर दी जाने वाली विश्व प्रेस स्वतंत्रता
सूचकांक दोनों में ही भारत की रैंकिंग लगभग बराबर है। पिछले दो साल के दौरान विश्व
प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत की रैकिंग में और गिरावट आई है, जबकि ईज ऑफ
डुइंग बिजनेस में रैंकिंग को थामने में मोदी सरकार सफल रही। मोदी सरकार लगातार
कोशिश कर रही है कि इस रैंकिंग में सुधार हुआ और इसके लिए कई बड़े कदम भी उठाए गए
हैं, लेकिन जहां तक विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक की बात है तो शायद सरकार को
इस रैंकिंग के बारे में पता भी न हो।
हिंदी वेबसाइट सत्याग्रह में छपी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदू
राष्ट्रवादियों द्वारा राष्ट्रीय बहसों में दखल देने की कोशिशें बढ़ी हैं और
कट्टर राष्ट्रवादियों द्वारा पत्रकारों के खिलाफ ऑनलाइन दुष्प्रचार अभियान चलाया
जाता है और पत्रकारों को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी जाती है। रिपोर्ट में लोकतांत्रिक
देशों में पत्रकारों की आजादी पर हमले को लेकर चिंता जताई गई है।
अब सवाल यह उठता है कि इस मामले में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गिर रही
भारत की साख को लेकर सरकार को चिंता जताएगी या फिर इसे सिरे से खारिज कर देगी। यह
भी कहा जा सकता है कि सरकार को बदनाम करने के लिए यह एक अंतर्राष्ट्रीय साजिश है।
पर सरकार को जवाब तो देना ही चाहिए।