.... कल
मजदूर दिवस है तो
............. तो
क्या, पहली
बार मजदूर दिवस आ रहा है। 70
साल से मजदूर
दिवस नहीं आ रहा था। तुम लोग
कहना क्या चाहते हों। मजदूरों
की दशा के लिए हम लोग जिम्मेवार
हैं। 70 साल
तक तुम्हें मजदूरों की याद
नहीं आई। तब तो तुम लोग चुप
लगाए बैठे रहे। कोई कुछ नहीं
बोला और आज चिल्ला रहे हैं,
मजदूर दिवस
है।
...... मेरी
बात तो सुनिए
............... क्या
सुनें, तुम्हारी,
मतलब तेरी बात।
तू है ही इस लायक। क्या हुआ,
जो मजदूर दिवस
है, तो
तू अपनी ऐसी-तैसी
करा ले। है मजदूर दिवस। कहना
क्या चाहता है, हम
पूंजीपति के साथ हैं,
हमें मजदूरों
की फिक्र नहीं है। जानता नहीं,
हमने मजदूरों
के लिए क्या कुछ नहीं किया,
पर तू क्यों
बताएगा। तू साले नैगेटिव
माइंड, तुझे
तो दिखता ही नहीं। हमने
क्या-क्या
नहीं किया। 70 साल
से सड़ रहे लेबर एक्ट को नया
किया। पीएफ एक्ट में बदलाव
किया। पीएफ का ब्याज कम किया।
सबके बैंक अकाउंट खुलवा दिए।
अब तू कहेगा कि बैंकों में जमा
पैसे तो फलां ले भागा। साले,
वो भी तुम्हारा
किया धरा है। अब हम उसके लिए
भी नया कानून लाए हैं। पर तुझे
क्यों दिखेगा यह सब...।
साले, देशद्रोही
कहीं के ...