मंगलवार, 15 दिसंबर 2015

सोचिए, बुरा आदमी कौन है

जब हमें कोई बुरा आदमी गाली देता है और हम उसके जवाब में गाली देते हैं, तो वह बुरे आदमी की पहली जीत होती है, क्‍योंकि ऐसा करके उसने हमें अपने बराबर ला दिया और हम अच्‍छे से बुरे हो गए। और हम दूसरी गाली देकर उसे हराना लगते हैं तो वह बुरे आदमी दूसरी जीत होती है। दूसरी गाली देकर उससे ज्‍यादा  बुरे आदमी बन चुके होते हैं। कहने का आशय सिर्फ इतना है कि बुरा आदमी चाहे जो करे, लेकिन अपने अंदर के अच्‍छे आदमी को छोड़कर बुरे आदमी से मुकाबला न करें। 

गुरुवार, 10 दिसंबर 2015

हम लड़ना जानते हैं

कुछ लोग लड़ना जानते हैं , हथियार चलाना नहीं

कुछ लोग हथियार चलाना जानते हैं, लड़ना नहीं

पर दोनों को जाने के बिना कोई लड़ाई नहीं जीती जाती

लेकिन ...

हर लड़ाई जीतने के लिये नहीं लड़ी जाती

लड़ी जाती है उन हथियारों के खिलाफ,
जो दिखते तो नहीं हैं

लेकिन चोट करते हैं सीधे सम्मान पर

किसी के पेट पर

किसी की जवान देह पर

ऐसे हथियारों को चलाने वालों को यह बताना जरूरी है

कि हम लड़ना जानते हैं ...

- यह कविता 10 दिसम्बर 2015 को लिखी गई. इससे एक दिन पहले "विद्रोही" की मौत हुई. विद्रोही को मैं ज्यादा नहीं जानता . लेकिन उनकी मौत के बाद सोशल मीडिया पर पढी कुछ कविताओं विद्रोह का एक भाव पैदा किया . जिसने इस रचना को जन्म दिया . धन्यवाद विद्रोही