शुक्रवार, 16 सितंबर 2016

हम भी बड़े 'वो' निकले

वो चाहते थे, मैं ना कर दूं
वो कहें तो, मैं हां कर दूं
उनके हवाले, दिल-ओ-जान कर दूं
पर हम भी बड़े 'वो' निकले
कह आए ;
इससे बेहतर कि नौकरी कुर्बां कर दूं
* इश्‍क के मरीज इसे ऐसे पढ़ें -
इससे बेहतर कि मोहब्‍बत कुर्बां कर दूं
Raju Sajwan

गुरुवार, 8 सितंबर 2016

अजब ज्ञानी लोग ...

भारत का हर नागरिक कश्‍मीर और बिहार मामलों का विशेषज्ञ है। बेशक वह कभ्‍ाी भी इन राज्‍यों में न गए हों। पर कश्‍मीर को स्‍वर्ग और बिहार को नरक कहने में कभी भी गुरेज नहीं करते। अजब ज्ञानी हैं भारत के लोग ...

सोमवार, 5 सितंबर 2016


विदेशी पैसे से बदल रहा है भारत


पिछले दो वर्षों में सरकार ने रक्षा, निर्माण विकास, बीमा, पेंशन, प्रसारण, चाय, कॉफी, रबर, इलायचीपाम तेल ट्री और जैतून का तेल के पौधों के वृक्षारोपणएकल ब्रांड खुदरा व्यापारविनिर्माण क्षेत्रसीमित देयता भागीदारी,नागरिक उड्डयनसूचना कंपनियोंसैटेलाइट की  स्थापना / संचालन और एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनियों के क्षेत्र में एफडीआई नीति बड़े सुधार किए हैं। 

सरकार की ओर उठाए गए इन कदमों के चलते देश में वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान 55.46 अरब अमेरिकी डॉलर का विदेशी निवेश आया है। जबकि वित्त वर्ष 2013-14 में यह 36.04 अमेरिकी डॉलर था। किसी विशेष वर्ष के दौरान यह अब तक सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है। 

यह महसूस किया जा रहा है कि एफडीआई नीति के सरलीकरण और उदारीकरण से देश में और अधिक प्रत्यक्ष विदेश निवेश आकर्षित करने की संभावना है।

केंद्रीय सरकार के मुताबिक भारत में रोजगार और रोजगार सृजन के लिए प्रमुख प्रोत्साहन प्रदान करने के उद्देश्य से 20 जून 2016 को एफडीआई नीति में बड़े बदलाव किए गए। इस क्षेत्र में यह नवंबर में 2015 की घोषणा पिछले क्रांतिकारी परिवर्तन के बाद दूसरा बड़ा सुधार था। सरकार के इन कदमों से भारत में पूंजी का प्रवाह और बढ़ेगा। 

एफडीआई नीति में बदलाव का उद्देश्य कारोबार के लिहाज से भारत को विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक स्थल बनाना है। सरकार की ओर से किए गए इन परिवर्तनों ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए दुनिया में भारत सबसे खुली अर्थव्यवस्था बना दिया है।

सोर्स - पीआईबी