बुधवार, 5 दिसंबर 2012

निजीकरण के बाद सात दिन पीना पड़ सकता है दूषित पानी !


निजीकरण के बाद सात दिन पीना पड़ सकता है दूषित पानी !

स्वयंसेवी संगठनों ने लगाया आरोप
निजी कंपनियों को करोड़ों रुपये का फायदा पहुंचाने का आरोप

राज्य ब्यूरो नई दिल्ली
नांगलोई जल संयंत्र जिन निजी कंपनियों को सौंपा गया है, उन्हें यह छूट दी गई है कि वे दूषित पानी की शिकायत को दूर करने में कम से कम सात दिन का समय ले सकती हैं। यानी, उपभोक्ताओं को सात दिन तक दूषित पानी पीना पड़ सकता है। यह आरोप मंगलवार को पानी के निजीकरण का विरोध कर रहे संगठनों ने लगाया है। इन संगठनों ने निजी कंपनियों को करोड़ों रुपये का फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया।
सिटीजन फ्रंटस फार वाटर डेमोक्रेसी के एस.ए. नकवी, वाटर वर्कर्स एलायंस के संजय शर्मा और वाटर, सीवर एंड सीवेज डिस्पोजल इम्पलायज यूनियन के राम प्रकाश शर्मा ने मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में नांगलोई जल संयंत्र को लेकर दिल्ली जल बोर्ड और निजी कंपनी के बीच हुए समझौते (एमओयू) में गड़बड़ी के कई आरोप लगाए।
उन्होंने कहा कि कंपनी के साथ उपभोक्ता शिकायत निवारण को लेकर हुए समझौते में कंपनी को कई छूट दी गई है, जिसमें सात दिन में दूषित पानी की शिकायत को दूर करना, कम दबाव में पानी आने की शिकायत को सात दिन में दूर करना, पानी न आने की शिकायत को एक दिन में दूर करना और बिलों की शिकायत को सात दिन में दूर करना शामिल है।
एस.ए. नकवी और संजय शर्मा ने कहा कि उनके पास जल बोर्ड से सूचना के अधिकार कानून के तहत मांगी गई सूचना और जल बोर्ड व निजी कंपनियों द्वारा अपनी वेबसाइट पर अपलोड सूचना की पड़ताल के बाद ये आरोप लगाए हैं।
नकवी ने बताया कि समझौते में कहा गया है कि कंपनी को कुल आपरेटर खर्च के रूप में 14.99 रुपये प्रति किलोलीटर दिया जाएगा, इसमें बिजली का खर्च और कच्चे पानी का मूल्य शामिल नहीं है, यदि इसे जोड़ दिया जाए तो कंपनी को आपरेटर खर्च के नाम पर लगभग 18 रुपये प्रति किलोलीटर पहुंच जाएगा। इतना ही नहीं, तय समझौते के मुताबिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) और थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) में होने वाली वृद्धि की दर के हिसाब से हर साल अप्रैल माह में आपरेटर खर्च में वृद्धि की जाएगी। संगठनों का कहना है कि वर्तमान दर के मुताबिक एक साल में लगभग 1.16 रुपये में वृद्धि हो सकती है और इसी दर से वृद्धि होती रही तो आपरेटर खर्च की दर 47-50 रुपये प्रति किलोलीटर तक पहुंच जाएगी, जबकि दिल्ली जल बोर्ड इस समय नांगलोई ट्रीटमेंट प्लांट से पानी के वितरण पर 4.86 रुपये प्रति किलोलीटर खर्च कर रहा है। इसमें कर्मचारियों का वेतन, बिजली खर्च, आपरेशन एंड मेंटीनेंस, बिल की छपाई व वितरण, कच्चे पानी का खर्च शामिल है। संगठन ने सवाल किया है कि निजी कंपनी को लगभग चार गुणा अधिक खर्च क्यों दिया जा रहा है।
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सर्विस चार्ज क्यों : जस्टिस सच्चर
संवाददाता सम्मेलन में उपस्थित दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र सच्चर ने कहा कि जल बोर्ड इन दिनों पानी के बिल के साथ सर्विस चार्ज जोड़ रहा है, ये सर्विस चार्ज किस बात के हैं। इसके साथ ही हर साल दस फीसद पेयजल शुल्क बढ़ाने का आधार भी जनता को बताया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पानी जैसे प्राकृतिक संसाधन का निजीकरण करना संवैधानिक नियम के खिलाफ है।



समाप्त
राजू सजवान