मंगलवार, 11 मार्च 2008

क्या भारत में महिलाओं के साथ ऐसा बर्ताव होता है



छेड़छाड़, बदसलूकी, बलात्कार, घर में प्रताड़ना...देश में महिला राष्ट्रपति बनने जैसी एक सकारात्मक कहानी के पीछे कई कही-अनकही नकारात्मक कहानियाँ छिपी रहती हैं.

अपराधों की फ़ेहरिस्त
36617 बदसलूकी के मामले, 19348 बलात्कार, 17414 अपहरण, 7618 दहेज से जुड़े मामलों में मौतें और 63128 प्रताड़ना के मामले -राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो की ताज़ा रिपोर्ट (वर्ष 2006) के आँकड़े भयावह तस्वीर पेश करते हैं.

वर्ष 2006 में महिलाओं के प्रति अपराध के कुल एक लाख 64 हज़ार 765 मामले दर्ज किए गए.

वर्ष 2005 में 1,55,553 मामले दर्ज हुए यानि वर्ष 2005 के मुकाबले 2006 में 5.9 फ़ीसदी को बढ़ोत्तरी. और 2002 के मुकाबले 15.2 की वृद्धि.

बलात्कार भारत में इस समय सबसे तेज़ी से बढ़ता अपराध है. एक अनुमान के मुताबिक 1971 के बाद से बलात्कार की घटनाओं में 678 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है.

राष्ट्रीय रिकॉर्ड्स अपराध ब्यूरो की नई रिपोर्ट में अगर बलात्कार करने वालों के प्रोफ़ाइल का अध्ययन करें तो परेशान करने वाले तथ्य सामने आते हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक बलात्कार करने वालों में से 75 फ़ीसदी लोग जान-पहचान वाले होते हैं जिसमें परिवार के सदस्य, अभिभावक, पड़ोसी और रिश्तेदार शामिल हैं.

महज़ आँकड़ें नहीं हैं ये...

भारत में रहने वाली महिलाएँ तो अपराधों का शिकार बनती ही हैं, पिछले कुछ सालों में विदेशी महिला सैलानियों के साथ आपराधिक मामले भी तेज़ी से बढ़े हैं- गोवा और राजस्थान जैसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों से ऐसे कई मामले सामने आए हैं.
अपराधों का ये सिलसिला कस्बों और नगरों में ही नहीं है, बड़े शहरों का भी हाल बुरा है. राष्ट्रीय अपराध दर 14.7 के मुकाबले शहरों में अपराध की दर 20.3 प्रतिशत है. देश की राजधानी दिल्ली का हाल सबसे बुरा है.
जहाँ देश की राजधानी ही इतनी असुरक्षित हो, वहाँ दूसरी जगहों पर क्या अपेक्षा की जा सकती है. 167.7 की राष्ट्रीय अपराध दर के मुकाबले दिल्ली में ये दर 357.2 है यानी दोगुनी.
हर साल आने वाले तमाम ऑंकड़ों की लंबी चौड़ी फ़ेहरिस्त में ये महज़ एक अन्य सूची नहीं है. इन अपराधों के पीछे सामाजिक, क़ानूनी और सांस्कृतिक..कई कारण हैं.
समाज इसका दोष क़ानून पर डालकर फ़ारिग हो जाता है तो क़ानून सामाजिक बदलाव की दुहाई देता है.
ये सच है कि आज भारत की राष्ट्रपति महिला है, दुनिया की सबसे ताक़तवर महिलाओं की सूची में भारत की सोनिया गांधी का नंबर छठा है, सानिया मिर्ज़ा विश्व की शीर्ष टेनिस खिलाड़ियों में से एक हैं, महिलाएँ आज कई ऐसे पेशों में धाक जमा रही हैं जहाँ पहले उन्होंने कभी क़दम नहीं रखा.
इसमें बेशक हमें गर्व महसूस करना चाहिए. लेकिन इस बदलते, चमकते, आर्थिक प्रगति करते भारत में महिलाओं का एक वर्ग आज भी हाशिए पर रहता है, असुरक्षित है.
काश के भारत इन्हें भी स्वाभिमान भरा सुरक्षित जीवन दे पाए ताकि दोबारा कोई आकर ये न पूछे कि क्या भारत में महिलाओं के साथ ऐसा बर्ताव होता है जैसा उस विदेशी सैलानी ने पूछा था.

1 टिप्पणी:

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