मंगलवार, 24 जुलाई 2012

खूब पाला पोसा 
पढाया लिखाया 
इतना बडा किया कि 
मैं उसे खिला संकू
पर फिर भी नहीं खिला पाया मैं 
पर उसे देखिए
वह जब से पैदा हुआ
तब से ही पाल रहा है
अपनी मां को
जन्‍म के पहले दिन ही
मां ने उसे गोद में उठाया
और खडी हो गई
शहर के चौराहे पर
उस मासूम के रोने की
आवाज सुन कई लोगों ने
बढाया था एक रुपया, दो रुपया
उसकी मां की ओर
बस तब से ही
उसकी मां ने भरपेट खाना शुरु किया
अगर रोना नहीं आता था उसे
तो चिकौटी काट कर रुला देती थी मां
ताकि पसीज जाए कोई ह्रदय
थोडा बडा हुआ तो
ढाबे का छोटू बन गया
और तब पाला मां को
और आज तक पाल रहा है .......

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