प्रो मुशीरुल हसन, पहचान के लिए नाम ही काफी है, लेकिन मैंने उन्हें पहली बार तब जाना, जब मुझे जामिया मीलिया इस्लामिया कवर करने का मौका मिला, ठीक उन्हीं दिनों बाटला हाउस एनकाउंटर हुआ था। पुलिस की कार्रवाई को लेकर जामिया मीलिया इस्लामिया के छात्र बेहद गुस्से में थे, वे कभी भी राजधानी की सड़को पर निकल कर अपने गुस्से का इजहार कर सकते थे। प्रो हसन जामिया के वाइस चांसलर थे। शायद वह समझ चुके थे कि छात्र को शांत नहीं किया गया तो उसकी भरपाई अगले कई सालों तक नहीं होगी, इसलिए उन्होंने एक सभा बुलाई, जिसमें सभी छात्र उपस्थित थे। यह तो नहीं पता कि उस सभा में क्या हुआ, लेकिन जब हम जामिया पहुंचे तो सभी खत्म हो चुकी थी और प्रो. हसन ने पत्रकारों को बातचीत के लिए बुलाया और साफ साफ कह दिया कि पुलिस का एनकाउंटर फेक था, वह पुलिस द्वारा पकड़े गए बच्चों की हिमायत करेंगे और बच्चो का साथ देंगे। उनके इस आश्वासन भर से जामिया के बच्चों का गुस्सा शांत हुआ था।
हालांकि अभी तक बाटला हाउस एनकाउंटर को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है, लेकिन प्रो. हसन ने उस समय भड़कने वाली आग को शांत करने के लिए सरकार की नाराजगी की भी परवाह नहीं की।
आज वह एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने के कारण अपोलो अस्पताल में भर्ती हैं। मैं उनकी लंबी उम्र की कामना करता हूं।
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