रविवार, 29 मार्च 2015

आप से उम्‍मीद ...


आम आदमी पार्टी में जो भी कुछ हो रहा है, शायद इस बात का अंदेशा मुझे पहले से था
 और यही वजह थी कि मैं भी योगेंद्र यादव की ही तरह चाहता था कि आप हार जाए। हालांकि मैंने योगेंद्र की तरह उन्हें हारने की कोई कोशिश नहीं की, क्योंकि मेरी बिसात भी नहीं थी, लेकिन मुझे इस बात का आभास हो चला था कि इस बार आम आदमी पार्टी जीत गई तो पार्टी का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। मात्र दो साल के राजनीतिक सफर के बाद सत्ता में पहुंची आम आदमी पार्टी ने 49 दिन बाद त्यागपत्र दिया तो उसके पीछे अरविंद केजरीवाल का त्याग दिखाई दिया, परंतु लोकसभा चुनाव में हार के बाद जिस तरह अरविंद ने व्यवहार किया, उससे लगा कि अरविंद फिर से दिल्ली की सत्ता चाहते हैं। उसके लिए उन्होंने पार्टी के सिद्धांत को ताक पर रखकर कई ऐसे लोगों को टिकट बांटी, जो कहीं से भी आप के ढांचे में फिट होते नहीं दिखते थे। उन्हें देखकर लगता था कि अरविंद हर हाल में दिल्ली में सत्ता में आना चाहते हैं और वह आ भी गए।
सच्चाई यह है कि अरविंद एक ब्रांड मेकर हैं और उन्होंने खुद को ऐसे ब्रांड के रूप में पेश किया, जिसके बूते उन्होंने राजनीतिक इतिहास में झंडे गाड़ दिए। अरविंद ईमानदार भी हो सकते हैं, लेकिन ब्रांड के रूप में स्थापित होने की ललक में उन्होंने जो कुछ किया, वह पूरी तरह सही है, इससे कम से कम मैं इतफाक नहीं रखता।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर मैं और योगेंद्र यादव या प्रशांत भूषण क्यों चाहता थे कि पार्टी हार जाए। योगेंद्र और प्रशांत की बात तो मैं नहीं जानता, लेकिन मैं अपनी बात बता सकता हूं। मेरा मानना था कि पार्टी में बहुत से लोग ऐसे थे, जो केवल सत्ता का सुख पाने के लिए पार्टी और अरविंद से चिपके हुए हैं, जिन्हें उस विचारधारा या सिद्धांत से कोई लेना देना नहीं था, जिसका प्रचार आप और अरविंद कर रहे थे। ऐसे में यदि आप हार जाती तो ये लोग छिटक जाते और सही मायने में पार्टी के सिद्धांत पर विश्वास रखने वाले लोग ही पार्टी में रह जाते, इससे पार्टी वैचारिक स्तर पर और मजबूत होती और इसके बाद पार्टी में ठोस कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़ती। इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि पार्टी तप कर सोने में तब्दील होती।
मैं आप का शुभचिंतक था और अभी भी हूं। इसकी वजह यह है कि राजनीति में जो प्रयोग हुआ, उससे एक संभावना दिखी थी, मैं इस संभावना को इतनी जल्दी मरने नहीं देना चाहता। लेकिन अरविंद ने प्रशांत, योगेंद्र और आनंद कुमार जैसे लोगों के साथ जो किया, वह गलत है, परंतु अरविंद अब दिल्ली की जनता से जो करने वाले हैं, वह मेरे लिए ज्यादा महत्व रखता है। यदि अरविंद दिल्ली की जनता को एक बेहतर और अच्छी सरकार दे पाएं तो मेरी शुभकामनाएं उनके साथ हैं।

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