शनिवार, 11 अगस्त 2012

हो ही गया पानी का 'निजीकरण




राज्य ब्यूरो नई दिल्ली
दिल्ली के तीन प्रमुख इलाकों में पानी का वितरण निजी कंपनियों को दे दिया गया है। पानी के इस निजीकरण की प्रक्रिया को बिजली के निजीकरण से अलग केंद्र सरकार के फार्मूले पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) पर आधारित बताया जा रहा है, इसीलिए  स्वयं मुख्यमंत्री शीला दीक्षित सोमवार को दिल्ली सरकार के इस फैसले पर अंतिम मुहर लगवाने योजना आयोग जाएंगी।
इस प्रोजेक्ट को शुक्रवार को बोर्ड की अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की अध्यक्षता में मंजूरी दी गई। इस बैठक में मालवीय नगर, महरौली और वसंत विहार में पानी का वितरण का काम तीन अलग अलग निजी कंपनियों को सौंपने का फैसला लिया गया।
मालवीय नगर प्रोजेक्ट पर जल बोर्ड का लगभग 519 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। यह पैसा कंपनियों को दिया जाएगा, जो पानी की पाइप लाइन बदलेंगी और दो भूमिगत जलाशय (यूजीआर) बनाएगी। इन कंपनियों को मुफ्त पानी दिया जाएगा और ये कंपनियां लोगों से बिल वसूल कर जल बोर्ड को जमा कराएंगी। कंपनियां कुल राजस्व का 30 फीसद कम जमा करा सकती हैं, यानी यह माना गया है कि 30 फीसद लाइन लॉस होगा, जो आने वाले सालों में शून्य रह जाएगा। इस परियोजना के तहत कंपनियों को 12 साल के लिए आपरेशन एंड मेंटीनेंस का काम सौपा गया है।
इसी तरह वसंत विहार और महरौली के लिए जल बोर्ड 216 करोड़ रुपये कंपनियों को देगा। कंपनियों को 4.11 रुपये प्रति किलोलीटर ऑपरेटिंग शुल्क के रूप में भुगतान किया जाएगा। यहां भी कंपनियां पानी का वितरण करेंगी।
जल बोर्ड के मुताबिक इन परियोजनाओं को लागू करने के मकसद इन इलाकों में 24 घंटे सातों दिन पानी उपलब्ध कराना है। इन तीनों क्षेत्र को एक मॉडल के रूप में अपनाया जा रहा है, अगर ये तीनों परियोजनाएं सफल रहती हैं तो पूरी दिल्ली में ऐसी ही परियोजनाओं को अमली जामा पहनाया जाएगा।
इसे पानी का निजीकरण नहीं कहा जाना चाहिए। पानी के शुल्क में बदलाव को लेकर कंपनियों का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा, न ही कंपनियों को कोई संपत्ति नहीं सौंपी जाएगी। कंपनियों से केवल पानी का वितरण कराया जाएगा।
इसके अलावा बोर्ड ने सीवर सफाई के लिए 33 जेटिंग मशीनों को मंजूरी दी गई। इस पर लगभग 30 करोड़ 15 लाख रुपये का खर्च आएगा।

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