शनिवार, 11 अगस्त 2012

प्राइवेट कंपनी पर होगी जल बोर्ड की मेहरबानी


दिल्‍ली जल बोर्ड दिल्‍ली में पानी के निजीकरण की पूरी तैयारी कर चुका है। निजी कंपनी को कैसे कैसे फायदा पहुंचाया जाएगा, इसकी एक बानगी देखिये कि निजी कंपनी को कोई नुकसान न हो, इस लिए पाइप बिछाने का सारा खर्च जल बोर्ड करेगा और पूरे इलाके की पाइप लाइन बदली जाएगी। दिल्‍ली सरकार की साजिश की परत खोलती मेरी दो रिपोर्ट  



अब तक पानी की पाइप लाइन से कनेक्शन लेने के लिए आपको मीटर तक पाइप बिछाने का खर्च जल बोर्ड को देना होता है, लेकिन मालवीय नगर, वसंत विहार और महरौली में उपभोक्ताओं के घर के मीटर तक पाइप लाइन तो बदली जाएगी, पर उसका पैसा उपभोक्ता से नहीं लिया जाएगा।
ऐसा इसलिए किया जाएगा, ताकि पानी की लीकेज से होने वाले राजस्व के नुकसान को कम किया जा सके। जल बोर्ड का मानना है कि इन इलाकों में पानी की आपूर्ति मांग से अधिक हो रही है, लेकिन लीकेज और पानी की चोरी के कारण कई इलाकों में लोगों को पानी नहीं मिल पाता।
अब जब जल बोर्ड ने इन इलाकों में पानी का वितरण निजी कंपनियों को सौंपने का निर्णय ले लिया है, जो लोगों को सातों दिन 24 घंटे पानी सप्लाई करेगी। यह तभी संभव है कि जब पानी की लीकेज रोकी जाएगी। यही वजह है कि जल बोर्ड जमीन के नीचे डाली गई जीआई पाइप बदलने का निर्णय लिया है। यह जीआई पाइप जमीन के नीचे सड़ गल जाता है, इसकी जगह एमडीबी पाइप लाइन डाली जाएगी, इस पाइप की उम्र 50 साल है।
जल बोर्ड अधिकारियों का कहना है कि लीकेज खत्म होने के बाद हर उपभोक्ता के घर आधुनिक मीटर लगाए जाएंगे। इसके बाद लाइन लॉस काफी कम हो जाएगा और लोगों को 24 घंटे सातों दिन पानी मिलने लगेगा।
इतना ही नहीं, जल बोर्ड घरों के अंदर की लीकेज की भी जांच करेगा। बोर्ड अधिकारियों का कहना है कि नागपुर और हुबली (कर्नाटक) में जहां 24 घंटे पानी दिया जाता है, वहां सबसे पहले लोगों ने शिकायत की कि उनका बिल काफी अधिक आ रहा है, जब जांच की गई तो पाया लगभग 20 फीसद घरों के अंदर पानी लीक होता है, इसलिए वे घरों में पानी की लीकेज की जांच निशुल्क करेंगे।
बोर्ड अधिकारियों ने बताया कि लोगों की शिकायत रहती है कि जल बोर्ड पाइप लाइन बिछा देता है, लेकिन उसके बाद सड़कें ठीक नहीं की जाती, क्योंकि यह काम दिल्ली नगर निगम को करना होता है, परंतु इन तीनों इलाकों में जल बोर्ड ही सड़कों का पुनर्निर्माण करेगा। इस तरह की विशेष व्यवस्था की गई है।
इन सबका मकसद यह है कि प्राइवेट कंपनी को ऐसी व्यवस्था दी जाए, ताकि उसे पर्याप्त पानी मिल सके और वह उपभोक्ताओं को 24 घंटे पानी दे सके।
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महंगाई के साथ साथ बढ़ेगा पानी का बिल!


पानी के वितरण में निजी भागीदारी (पीपीपी) अपनाने के बाद संभव है कि लोगों को महंगाई दर के हिसाब से पानी की कीमत चुकानी पड़े। दिल्ली में अपनाए जा रहे नागपुर मॉडल के मुताबिक पानी का वितरण कर रही कंपनी महंगाई दर में हो रहे बदलाव के आधार पर अपने शुल्क में वृद्धि करवा सकती है।
नागपुर में पेयजल व्यवस्था नागपुर नगर निगम के पास है, जिसने ओरेंज सिटी वाटर  लिमिटेड को पानी के वितरण का काम सौंपा हुआ है। करार के मुताबिक नागपुर नगर निगम निजी कंपनी को बतौर ऑपरेशन एंड मेंटीनेंस (ओएंडएम) शुल्क के रूप में आठ रुपये प्रति किलोलीटर की दर से भुगतान करेगा।
नागपुर नगर निगम की इंजीनियरिंग कंसलटेंट कंपनी डीआरए कंसलटेंटस प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक दिनेश राठी के मुताबिक करार में यह भी स्पष्ट है कि भारतीय रिवर्ज बैंक द्वारा निर्धारित महंगाई दर के आधार पर ओएंडएम शुल्क में वृद्धि हो जाएगी। हालांकि लोगों से वसूले जाने वाले पेयजल शुल्क पर इसका कोई असर तब तक नहीं पड़ेगा, जब तक नागपुर नगर निगम कोई फैसला न ले ले। दिनेश राठी ही दिल्ली के मालवीय नगर प्रोजेक्ट के कंसलटेंट भी है, लेकिन उन्होंने दिल्ली में होने वाले करार के बारे में कोई जानकारी नहीं दी।
इस मामले में दिल्ली जल बोर्ड का कहना है कि लोगों से वसूले जाने वाले पेयजल शुल्क का निर्धारण जल बोर्ड ही करेगा और ऑपरेटर (निजी कंपनी) को भुगतान जल बोर्ड करेगा। जानकारों का कहना है कि यह सही है कि प्राइवेट कंपनी के शुल्क में महंगाई दर के मुताबिक वृद्धि का सीधा असर लोगों पर नहीं पड़ेगा, लेकिन संभव है कि ऑपरेटर का शुल्क बढऩे पर जल बोर्ड लागत बढऩे का तर्क देकर लोगों से वसूले जाने वाले पेयजल शुल्क में वृद्धि कर दे, क्योंकि ऐसा ही बिजली कंपनियां और दिल्ली बिजली नियामक आयोग ने भी किया है।
इतना ही नहीं, आपरेटर को जो भी पैसा दिया जाएगा, वह जल बोर्ड का होगा, यानी जल बोर्ड द्वारा किसी न किसी मद के माध्यम से जनता द्वारा इक_ा किया गया पैसा ही आपरेटर को दिया जाएगा।

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निजी कंपनी को 10 रुपये और पब्लिक को दो रुपये
दिल्ली में पानी के पीपीपी प्रोजेक्ट का गहन अध्ययन कर रही संस्था वाटर सिटीजन्स फ्रंट फॉर वाटर डेमोक्रेसी के संयोजक एस.ए. नकवी बताते हैं कि जल बोर्ड ने निजी कंपनी को 10.64 रुपये प्रति किलोलीटर का भुगतान करेगा, जबकि जनता को दो रुपये प्रति किलोलीटर की दर से दिया जाता है। इसके अलावा निजी कंपनी को दो साल तक बिजली पानी और अन्य सेवाएं मुफ्त देने का भी प्रावधान है।

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