सोमवार, 20 अगस्त 2012

अमीरों पर मेहरबान सरकार


केंद्र सरकार दिल्‍ली के सुपर रिच यानी महा अमीर लोगों पर मेहरबान होने जा रही है। इन लोगों द्वारा खेती बाडी की जमीन पर बनाए गए डाक बंगला नुमा कोठियों को मंजूरी दी जा रही है। वैसे अगर कोई गरीब आदमी किसी प्रापर्टी डीलर झांसे में आ कर खेती बाडी की जमीन पर कोई छोटो मोटा प्‍लाट ले लेता है तो उसे अवैध बता कर गिरा दिया जाता है, लेकिन सालों से ऐसी जमीन पर कब्‍जा जमाए बैठे मोटे सेठ को रियायत की तैयारी पूरी हो गई है। दिलचस्‍प बात यह है कि गरीबों के आवास या हरियाली की फिक्र कर रहे एनजीओ की चुप्‍पी  इस पॉलिसी में क्‍या खामिया हैं, इस पर मेरी एक रिपोर्ट 

कई खामियां हैं फार्म हाउस पॉलिसी में

राजू सजवान, नई दिल्ली
दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा पास की गई फार्म हाउस पॉलिसी में कई खामियां हैं। यह पॉलिसी टाउन प्लानिंग के नियमों के मुताबिक नहीं हैं। दिलचस्प बात यह है कि डीडीए के कई अधिकारी इसके पक्ष में हैं, लेकिन वे खुलकर इसका विरोध नहीं कर पा रहे हैं।
अब तक दिल्ली में कम से कम ढाई एकड़ जमीन पर ही फार्म हाउस निर्माण की इजाजत थी। वह भी कुल क्षेत्रफल का एक फीसद। यानी यहां केवल चौकीदार या देखरेख के लिए छोटा सा कमरा बनाने की ही इजाजत थी, लेकिन पिछले दिनों हुई डीडीए की बोर्ड बैठक के बाद एक एकड़ जमीन पर 15 फीसद एफएआर की इजाजत देने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है। डीडीए ने इसे कंट्री होम का नाम दिया है।
टाउन प्लानिंग का नियम कहता है कि जब कृषि योग्य भूमि पर रहने की इजाजत दी जाती है तो उस भूमि का चेंज आफ लैंड यूज (भू उपयोग परिवर्तन) कराना होता है। दिल्ली के भवन उपनियमों के मुताबिक प्लाट का सबडिविजन भी नहीं होता। प्रस्तावित फार्म हाउस पॉलिसी के मुताबिक इस इलाके में नौ मीटर चौड़ी सड़कें होंगी, लेकिन किसी भी टाउन शिप में 18 मीटर चौड़ी सड़कें होनी चाहिए, ताकि वहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट आसानी से आ जा सके।
जानकार बताते हैं कि फार्म हाउस पॉलिसी बनाने से पहले यह तय किया जाना चाहिए था कि इस इलाके में बिजली-पानी-सीवर जैसी सेवाएं कौन ओर कैसे देगा। टाउन प्लानिंग के नियम के मुताबिक किसी भी कालोनी में लगभग 40 फीसदी हिस्सा सामाजिक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए होता है, इसमें रोड, सीवर, पानी, अस्पताल, पुलिस स्टेशन, अग्निशमन जैसी सेवाएं शामिल की जाती है।

एक परिवार बनाम 200 परिवार 

डीडीए के एक अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि देश भर में जहां कम आय वर्ग के लिए मकान (एलआईजी) बनाने की योजना बन रही हैं, वहीं दिल्ली में कंट्री होम की अवधारणा को बढ़ावा दिया जा रहा है। कंट्री होम यानी एक एकड़ जमीन पर जहां एक परिवार को बसाया जाना है, वहां एलआईजी फ्लैट बना कर लगभग 200 परिवारों को बसाया जा सकता है।

हरित क्षेत्र को होगा नुकसान 

इस अधिकारी के मुताबिक दुनिया भर में ऊध्र्वाकार विकास की ओर ध्यान दिया जा रहा है, ताकि कम से कम जमीन का इस्तेमाल किया जाए, लेकिन दिल्ली में कृषि योग्य भूमि पर बसाया जा रहा है। दिल्ली में अभी 11 हजार हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि जिसे हरित क्षेत्र माना जाता है, लेकिन फार्म हाउस पॉलिसी के बाद हरित क्षेत्र को सबसे अधिक नुकसान होगा।

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